Sheetal Devi The Armless Archer की अद्भुत कहानी – हाथ नहीं है फिर भी जीते 3 मेडल
Sheetal Devi The Armless Archer : एक 16 साल की लड़की है , जो बिना हाथों के जन्मी है। शीतल देवी की कहानी कोई अजूबे से कम नहीं है। शीतल Phocomelia नाम रोग से ग्रसित है, इस रोग में कोई अंगों का विकास नहीं हो पाता है, या फिर कोई यंग बिल्कुल होते नहीं है। इस रोग कि वजह से शीतल बिना हाथों के जन्मी है।
शीतल देवी का जन्म कश्मीर के किश्तवाड़ा जिले के लोही धर (Lohi Dhar ) नामक एक छोटे गाँव में 2007 में हुआ था । हाल ही में Hangzhou, China में चल रहे एशियन पारा गेम्स में शीतल देवी ने सिंगपोर की आलिम नूर ( Alim Nur Syahidah) को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। Asian Para Games की एक ही पारी में 2 सुवर्ण पदक प्राप्त करने वाली शीतल प्रथम भारतीय महिला है। शीतल अपने पैरों से तीर चलती है। पैरों से तीर चलाकर सुवर्ण पदक जितना अपने आप में एक बहुत ही बड़ा , बेमिसाल कारनामा है , जो शीतल देवी ने कर दिखाया है। दो सुवर्ण पदक के अलावा शीतल ने Czech Republic में आयोजित World Para Archery Championships में एक रजत पदक भी जीता है।
Ten, ten, ten! Perfect scores! Devi Sheetal shot six consecutive ten rings in the last two rounds at the final of Women's Ind. Compound and won her first individual gold medal of Asian Games.#Hangzhou #AsianParaGames #HangzhouAsianParaGames #4thAsianParaGames #Hangzhou2022APG… pic.twitter.com/CV40QHpAHm
— The 4th Asian Para Games Hangzhou Official (@19thAGofficial) October 27, 2023
2021 में अचानक कहीं से शीतल के हाथ लगी एक किताब जिसका नाम था : “Being You: Against all Odds.” इस किताब ने शीतल देवी का जीवन बदल डाला , मानो उसे नया जन्म मिल गया। यह किताब भारत के 100 ऐसे लोगों के बारे मे न है जिन्हों ने कठिनाइयों का सामना करके कुछ बड़ा हंसिल किया था। इस से प्रेरणा लेकर शीतल ने भी कुछ करने की ठान ली। इस दौरान उनके विस्तार में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक युवा कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना के कोच अभिलाषा चौधरी (Abhilasha Chaudhary) और कुलदीप वाधवन ( कुलदीप वाधवन ) की नजर सीतल पर पड़ी और उन्होंने ने देखा की शीतल में गजब का आत्म विश्वास है , उन्हों ने इसे तीरंदाजी ( Archery ) सिखाने का निश्चय किया। हालांकि उन्हों ने कभी किसी बिना हाथों के व्यक्ति को प्रशिक्षण नहीं दिया था। उन्हों ने शीतल को कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण के ले प्रयत्न किया लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। बाद ने शीतल ने अपने कोच को बताया की वह अपने पैरों के उपयोग से पेड़ पर चड़ने का शौक रखती है और वो अच्छे से कर सकती है। कोच को समज में आ गया की इसे पैरों की मदद से कोई खेल मे प्रशिक्षण दिया जा सकता है। कोच अमरीका के रहने वाले Matt Stutzman के बारे में सुना था , जो की पैरों से तीर चल सकता था। नीचे दिया हुआ Matt Stutzman का चित्र देखें ।
बस फिर तो क्या कहना , शीतल कुछ भी करने को तैयार थी, कोच भी तैयार थे , अब केवल पैसों को थोड़ी समस्या थी । इसके लिए The Bakers Dozen नामक संस्था ने आर्थिक मदद करनेकी तैयारी दिखाई । कोच ने खुद भी अपनी और से भी पैसों की मदद की। और इस परकर शीतल देवी की तीरंदाजी की ट्रैनिंग शुरू हुई। शीतल ने बताया की शुरू में वो पैरों से तीर पकड़ नहीं पा रही थी तो चलाने की तो बात ही नहीं थी। लेकिन केवल 11 महीनों में शीतल ने बहुत ही अच्छे से तीर चलाना सिख लिया। टैनिंग के दौरान शीतल प्रतिदिन 300 तीर चलाकर प्रैक्टिस करती थीं। और Hangzhou, China में चल रहे एशियन पारा गेम्स में सिंगपोर की आलिम नूर ( Alim Nur Syahidah) को हराकर गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना डाला ।
Asian Para Games की एक ही पारी में 2 सुवर्ण पदक प्राप्त करने वाली शीतल प्रथम भारतीय महिला है। शीतल अपने पैरों से तीर चलाती है ।
शीतल देवी कश्मीर के किश्तवाड़ा जिले के लोही धर (Lohi Dhar ) नामक एक छोटे गाँव की रहने वाली है।
शीतल का जन्म 2007 में हुआ तह और वो 16 साल की है।
हाल ही में शीतल ने भारत के लिए Asian Para Games में दो गोल्ड मेडल जीते हैं।
शीतल ने Hangzhou में सिंगपोर की आलिम नूर को हराकर गोल्ड मेडल जीत है।
शीतल को भारतीय सेना के कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वाधवान ने तीरंदाजी का कोचिंग दिया है।
शीतल ने अब तक तीन मेडल जीते हैं , जिस में से दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल है।
शीतल के साथ टीम में राकेश कुमार उनके सहयोगी थे
शीतल को Phocomelia है , जिन में हाथ या पैर ठीक विकसित नहीं होते है , या फिर बिल्कुल नहीं होते हैं।
शीतल को Being You: Against all Odds पुस्तक से प्रेरणा मिली है।
Being You: Against all Odds पुस्तक के लेखिका प्रीति है।
Being You: Against all Odds में 100 ऐसे लोगों की बारे में बताया गया है , जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद कुच्छ बड़ा मुकाम हाँसील किया हो ।
शीतल के कोच ने अमरीका के Matt Stutzman से प्रेरणा ली थी, Matt Stutzman भी एक तीरंदाज है और वो भी अपने पैरों से तीर चलाते हैं।
शीतल को कटरा , वैष्णो देवी स्थित Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board Sports Complex में ट्रैनिंग मिली ।
The Bakers Dozen नामक संस्था ने शीतल के प्रशिक्षण के लिए आर्थिक सहयोग दिया
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