शनि दोष से मुक्ति और सभी कार्यों में सफलता के लिए नीलम रत्न का उपयोग करें – benefits of Blue Sapphire in Hindi
Benefits of Blue Sapphire in Hindi
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नीलम रत्न ब्लू सफ़ायर के नाम से भी जाना जाता है। इस का रंग नीला होने से इसे नीलम कहा जाता है। इसे ब्लू सफ़ायर भी कहा जाता है। इस रत्न को इंग्लिश में Blue Sapphire ( ब्लू सफ़ायर – नीलम ) कहा जाता है। नीलम शनि देव का मुख्य रत्न है। शनिदेव का उपरत्न रत्न जमुनिया है , नीलम बहुत महंगा होता है तो जो लोग शनि के उपाय के लिए नीलम खरीद नहीं सकते है वो जामुनिया पहन सकते है। मुख्य रूप से नीलम रत्न ब्लू सफ़ायर शनि को मजबूत करने और शनि दोष ठीक ( शनि का दुष्प्रभाव कैसे ठीक करें ) करने के लिए उपयोग कीया जाता है ।
जिनकी जन्म कुंडली में शनि दोष हों उसे नीलम या कटैला – जामुनिया पहनना चाहिए । इसके अलावा भी नीलम के और भी कई फ़ायदे हैं। आईए विस्तार से देखते है की नीलम कब पहनना चाहिए और नीलम किसे पहनना चाहिए , नीलम किस उंगली में पहनें। आज हम जानेंगे की नीलम से क्या फायदा होता है।
नीलम क्या है – what is Blue Sapphire Gem Stone :
नीलम क्वार्ट्ज परिवार का एक बहुत कीमती नीले रंग का रत्न है, जिसे सदियों से उच्च सम्मान में रखा गया है। यह मनमोहक नीला पत्थर, जिसे नीलम क्रिस्टल के रूप में भी जाना जाता है, सिलिका खनिज, ऑक्सीजन और लोहे के अंश से बना है, जो इसे इसका विशिष्ट रंग देता है। नीलम का नीला रंग प्राकृतिक विकिरण के अलावा, लोहे और अन्य ट्रेस तत्वों के संयोजन से प्राप्त होता है।
नीलम आध्यात्मिकता से जुड़ा रहा है , आज्ञा चक्र और मुकुट चक्र ( क्राउन चक्र ) दोनों से अपने संबंध के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन ग्रीस में माना जाता था कि नीलम नशे और अत्यधिक उपभोग से बचने में मदद करता है, जिससे नीलम से बनी अंगूठियां और बर्तनों का निर्माण हुआ। प्राचीन चीन में नीलम का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और रोजमर्रा के खतरों को टालने के लिए किया जाता था।
नीलम हल्के नीला या सफेद जैसे रंग से लेकर गहरे नीले रंग तक के विस्तृत रंग आयामों में उपलब्ध है। नीलम का नीला रंग चट्टानों में पाई जाने वाली अशुद्धियों, लोहे और सामान्य विकिरण के कारण होता है।
नीलम का रंग इसके मूल्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, गहरे रंगों को आमतौर पर अधिक महत्व दिया जाता है। कुछ कमियाँ की उपस्थिति नीलम में आम है वो इसके मूल्य पर भी प्रभाव डाल सकती है। यंत्र के बिना आँखों से देखा जाए तो स्वच्छ दिखने वाला नीलम अधिक मूल्यवान माना जाता है।
नीलम रत्न के लाभ – benefits of Blue Sapphire in Hindi – नीलम रत्न के फ़ायदे
नीलम पहनने से क्या लाभ होता है?
जमुनिया और नीलम के लाभ लगभग रूप से समान होते हैं, दोनों का मुख्य कार्य शनिदेव के दोषों को ठीक करना होता है। यह दोनों एक दूसरे के बदले में उपयोग किए जाते हैं।
नीलम के भौतिक लाभ:-
1.प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है ।
- अंतःस्रावी तंत्र के कार्यों में सुधार लाता है।
- पाचन स्वास्थ्य को बढ़ता है।
- संतुलन के लिए विभिन्न हार्मोनों का विनियमन करता है
- त्वचा संबंधी समस्याओं में सुधार करता है।
नीलम के मानसिक लाभ:-
1.व्यसन का इलाज करता है और संयम लागू करने में सहायता करता है
- शांतिपूर्वक पालन-पोषण करता है
- शांति उत्पन्न करता है
- चिंता कम हो जाती है
- निर्णय लेने की एकाग्रता को प्रोत्साहित करता है और नकारात्मक विचारों को समाप्त करता है
नीलम के आध्यात्मिक गुण:-
1.क्राउन चक्र को जोड़ता है और जागृत करता है
- उपयोगकर्ता की तीसरी आंख ( आज्ञा चक्र ) को खोलने के लिए बढ़ावा देता है
- काले जादू से बचाव करता है ।
- नापाक ताकतों से मुकाबला करता है।
- भावनात्मक हेरफेर से बचने में सहायता करता है।
ज्योतिष मान्यता है कि नीलम वाहन दुर्घटना की आशंका कम कर देता है।
नीलम धारण करने से दाम्पत्य जीवन में सफलता प्राप्त होती है। दम्पत्ति को चरित्र को अच्छा बनाए रखने में सहायता करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति का नैतिक पतन नहीं होता है। मन में दुर्भावनाएं कम करता है। कामवासना का दमन करता है। सेक्स सम्बन्धी रुचि जाग्रत करता है। नीलम को पानी में रखकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नीलम को धारण करने वाले व्यक्ति में अपने काम के प्रति समर्पण का भाव आने लगता है। उसमें आध्यात्मिक, मानसिक और स्मरण शक्ति का विकास होता है। वहीं शनि दोष के कारण होने वाली घुटने, कंधे या रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में भी नीलम मदद करता है ऐसा माना जाता है।
मानसिक समस्याओं के साथ साथ आर्थिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए भी नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। वहीं नीलम रत्न से परावर्तित होने वाली प्रकाश की किरणें द्वारा आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
नीलम अपनी उपचार शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है ( Healing powers of नीलम )। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक – सभी तरीके से मदद करता है। शारीरिक रूप से, नीलम आप के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, तनाव और सिरदर्द को कम करने और आरामदायक नींद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। मानसिक रूप से, इसके प्रभावों में चिंताओं और भय को कम करना, स्पष्ट सोच को प्रोत्साहित करना और किसी के अंतर्ज्ञान पर भरोसा करना शामिल है। आध्यात्मिक स्तर पर, देखा जाए तो नीलम आपके क्राउन चक्र को सक्रिय करने और उच्च ऊर्जाओं के साथ संबंध बनाने में सक्षम है। जिससे यह आंतरिक शांति, आध्यात्मिक विकास और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा चाहने वालों के लिए एक आदर्श रत्न बन जाता है।
नीलम शांति की भावना प्रदान करता है और किसी के भाग्य को संतुष्टि के साथ स्वीकार करने में सहायता करता है। इसकी गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा आध्यात्मिक विकास और जागरूकता को सुविधाजनक बनाती है, जिससे यह दैनिक ऊर्जावान और मानसिक विकर्षणों को दूर करने के लिए एक आवश्यक उपकरण बन जाती है। नीलम की उपचारात्मक शक्तियों का उपयोग करके, आप बेहतर कल्याण, भावनात्मक संतुलन और अपने आध्यात्मिक स्व के साथ गहरे संबंध का अनुभव कर सकते हैं।
नीलम के उपचार गुणों से पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए, इसे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में शामिल करने पर विचार करें, जैसे कि नीलम के गहने पहनना, ध्यान करते समय उपयोग करना, या इसे अपने घर या कार्यस्थल में रखना। अपने आप को नीलम की शांत ऊर्जा से घेरकर, आप अपने समग्र कल्याण को बढ़ा सकते हैं और नीलम की चमत्कारिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
किसे नीलम पहनना चाहिए – किस राशिवालों को नीलम पहनना चाहिए
Who should wear Blue Sapphire – Benefits of Blue Sapphire in Hindi
Who can wear Blue Sapphire
कुंभ और मकर राशि वाले लोग नीलम रत्न पहन सकते हैं क्योंकि इन राशियों पर शनि ग्रह का शासन होता है।
नीलम सब लोगों को अनुकूल नहीं आता है और अगर आपको प्रतिकूल होगा तो आपको नुकसान भी कर सकता है। तो अच्छे से ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद ही नीलम धारण करना चाहिए । अगर आप पेशेवर सफलता और करियर विकास चाहते हैं, आप उच्च आकांक्षा रखते हैं तो आपको नीलम पहनना चाहिए। यह खास रूप से आप को नेतृत्व की भूमिकाओं, प्रशासनिक सेवाओं, कट्टर उद्यमशीलता और कानून, वित्त और राजनीति से संबंधित प्रमुख व्यवसायों में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है । किसी भी क्षेत्र में अपने हरिफ़ से आगे निकलना चाहते हैं , उत्कृष्टता प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं या अपने क्षेत्र में पहचान चाहते हैं, तो आपको नीलम अवश्य धारण करना चाहिए।
यदि आप बेवजह चिंता, नकारात्मक विचारों या भावनात्मक अस्थिरता से जूझते हैं, तो नीलम आपके इन नकारात्मक विचारों को खत्म कर के आपको स्थिरता प्राप्त करने में सहायता करेगा । नीलम आपको एक कम में केंद्रित होने में सहायता करता है।
यदि आप आध्यात्मिक साधना को गहरा करने, अपने अंतर्ज्ञान को बढ़ाने, या परमात्मा से जुड़ने में रुचि रखते हैं, तो नीलम पहनने से इन प्रयासों में मदद मिल सकती है। ऐसा कहा जाता है कि यह आपके आज्ञा चक्र को उत्तेजित करता है, जो उच्च चेतना और सहज क्षमताओं से जुड़ा है।
नीलम सितंबर महीने का जन्म रत्न है, इसलिए, सितंबर में जन्म लेने वाले लोग ज्योतिषियों से परामर्श करने के बाद ही प्राकृतिक नीला नीलम धारण कर सकती हैं।
अगर आपकी साढ़े साती या ढैया चल रही है और आप उस के बुरे प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको उच्च गुणवत्ता वाला नीलम रत्न पहनना चाहिए क्योंकि यह शनि के बुरे प्रभावों और प्रकोप को कम करेगा।
असली नीलम कैसे पहचाने – how to identify original Blue Sapphire gemstone ?
Benefits of Blue Sapphire in Hindi : सिंथेटिक नीलम अर्थात कृत्रिम रूप से बनाए गए नीलम रत्न प्रयोगशाला-निर्मित रत्न होता है, यह जानना महत्वपूर्ण है कि वास्तविक और सिंथेटिक नीलम के बीच अंतर कैसे निश्चित करें ताकि आपको वास्तविक रत्न ही मिले । सिंथेटिक नीलम प्राकृतिक नीलम की तुलना में काफी सस्ता है।
नीलम की प्रामाणिकता निर्धारित करने के लिए, उसके रंग का प्रभाव क्षेत्र, त्रुटियों का समावेशन और अन्य स्पष्ट संकेतों की जांच करें। असली नीलम आम तौर पर रंग का प्रभाव क्षेत्र दिखाता है। जिसमें नीले रंग के गहरे और हल्के क्षेत्र पूरे पत्थर में वितरित होते हैं। पत्थर के भीतर समावेशन, या खामियां, यह भी संकेत दे सकती हैं कि यह रत्न असली है, क्योंकि सिंथेटिक नीलम अक्सर बहुत ही स्वच्छ होता है और समावेशन से रहित होता है।
Blue Sapphire Benefit: नीलम की गुणवत्ता उसकी कटाई पर आधारित होती है । इसका रंग हल्का पारदर्शी नीला होना चाहिए और बाहर से इस पर किसी तरह का कोई दाग नहीं होना चाहिए, किन्तु अंदर कोई छोटे छोटे दाग हो सकते हैं, लैब में बने हुए नकली नीलम में कोई दाग नहीं होते हैं।
अच्छे फायदे के लिए नीलम (Blue Sapphire Benefits) पहनने वाले व्यक्ति को उसके वजन के दसवें हिस्से के बराबर यह रत्न धारण करना चाहिए। रत्न को खरीदते समय रत्न की चमक अच्छी होनी चाहिए, वो कहीं से टूटा या उसमें किसी प्रकार का स्क्रेच न हो, उसके साथ किसी भी प्रकार की छेड़-छाड़ न की गई हो जैसे कैमिकल वॉश और हीट ट्रीटमेंट, ज्योतिष के अनुसार इस रत्न (Blue Sapphire Benefits) को धारण करने से अवश्य ही लाभ मिलता है। ब्राजील का नीलम रत्न हो तो सबसे अच्छा माना जाता है। इसे किसी भी भरोसेमंद दुकान से खरीदें और किसी अनुभवी से इसे अभिमंत्रित और पवित्र करवाएं। इससे सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
Where to buy Blue Sapphire – नीलम कहाँ से खरीदें
नीलम या फिर कोई भी रत्न आपको जहाँ तक हो सके आपके भरोसे वाली कोई स्थानिक दुकान से खरीदना चाहिए . अगर आप ऐसे नहीं कर सकते तो आप इसे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। नीलम ऑन लाइन अमेज़ोन से मंगवाने के ले यहाँ क्लिक करें।
नीलम का ब्रैस्लट – Blue Sapphire Bracelet
नीलम का ब्रैस्लट या Blue Sapphire Bracelet भी उतना ही फायदा करता है। जो लोग अंगूठी में पहनना पसंद नहीं करते है वो लोग नीलम का ब्रैस्लट – Blue Sapphire Bracelet पहन सकते है। वो भी इतना ही फायदा करता है। नीलम का ब्रैस्लट – Blue Sapphire Bracelet का एक और फायदा यह भी है की वो थोड़ा सस्ता होता है, क्योंकि उस में छोटे आकार के रत्नों का उपयोग कीया जाता है , जिसकी अंगूठी ना बन सके ऐसे छोटे टुकड़ों से यह नीलम का ब्रैस्लट – Blue Sapphire Bracelet बनाया जाता है , इस लिए सस्ता पड़ता है।
नीलम किस उंगली में पहनें – नीलम कैसे और कब पहनें
Which finger Blue Sapphire to wear – procedure to wear Blue Sapphire – Blue Sapphire mantra for Shani
नीलम (Blue Sapphire Gemstone Benefits) को चांदी की अंगूठी या लॉकेट में धारण किया जाता है। इसे शनिवार के दिन शनि की होरा में पहनना चाहिए। इस पत्थर को सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। इससे पहनने से पहले सरसों के तेल में 4 घंटे डुबो कर शुद्ध करके अंगूठी या लॉकेट को नीले कपड़े के ऊपर रख लेना चाहिए तत्पश्चात शनि के मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” से अभिमंत्रित कर विधिवत संकल्पपूर्वक धुप, दीप नैवेद्य से पूजा अर्चना करके धारण करना चाहिए।
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मीन और कुम्भ राशि के लोगों के लिए नीलम उत्तम माना जाता है । इसके अलावा नीलम रत्न को शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति और वृषभ, मिथुन, तुला और मकर राशि के लोग पहन सकते हैं।
नीलम या कटैला को सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए
नीलम को चांदी की अंगूठी या ब्रैस्लट में पहनना चाहिए ।
नीलम शनि देव का रत्न है , इस ले उसे शनिवार के दिन धारण करना , पहनना चाहिए ।
इससे पहनने से पहले सरसों के तेल में 4 घंटे डुबो कर शुद्ध करके नीले कपड़े के ऊपर रख लेना चाहिए। तत्पश्चात शनि के मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” से अभिमंत्रित कर विधिवत संकल्पपूर्वक धुप, दीप नैवेद्य से पूजा अर्चना करके धारण करना चाहिए।
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” शनि मंत्र से जामुनिया को अभिमंत्रित करना चाहिए ।
नीलम की प्रामाणिकता निर्धारित करने के लिए, उसके रंग का प्रभाव क्षेत्र, त्रुटियों का समावेशन और अन्य स्पष्ट संकेतों की जांच करें। असली नीलम आम तौर पर रंग का प्रभाव क्षेत्र दिखाता है। जिसमें हल्के नीले रंग के गहरे और हल्के क्षेत्र पूरे पत्थर में वितरित होते हैं। पत्थर के भीतर समावेशन, या खामियां, यह भी संकेत दे सकती हैं कि यह रत्न असली है, क्योंकि सिंथेटिक नीलम अक्सर बहुत ही स्वच्छ होता है और समावेशन से रहित होता है।
नीलम बहुत ही कम लोगों को अनुकूल आयात है , बिना जांच किए इसे पहनने से आपको जोखिम हो सकता है। नीलम सोच समाज कर ही पहनना चाहिए । अगर आपको नीलम अनुकूल नहीं होगा तो वो आपको शारीरिक, मानसिक या अर्थी रूप से नुकसान कर सकता है। आपको नुकसान करेगा या अनुकूल रहेगा यह जानने के लिए पहले थोड़े दिन आप उसे अपने तकिये के नीचे रखकर सोएँ । आपको कैसे सपने आते हैं याद कीजिए , अगर डरावने सपने आते है तो वो आपको अनुकूल नहीं है। तकिये के नीचे रखकर सोने के कुछ दिनों मे कोई नुकसान हो तो भी नीलम आपको अनुकूल नहीं है। । 1. अगर नीलम नकली है तो लाभ के बदले नुकसान भी हो सकता है। 2. नीलम से नुकसान होने का दूसरा कारण यह है की नीलम दूषित या खंडित हो तो भी नुकसान करता है। 3. तीसरा कारण यह है की नीलम आसपास की नेगटिव ऊर्जा को सोखता रहता है , इसलिए इसे थोड़े थोड़े समय पर शुद्ध करते रहना चाहिए अन्यथा उसमें संग्रहीत, अवशोषित नेगटिव ऊर्जा से यह नुकसान भी कर सकता है। 4. चौथा कारण यह है की अगर इसे पहले किसी और व्यक्ति ने धारण कीया होता है तो उसकी ऊर्जा नीलम में समाहित होती है और जब इसे कोई और पहनेगा तो उसकी ऊर्जा भी खराब हो सकती है और वो नुकसान कर सकता है । 5. पांचवा कारण यह है की व्यक्ति की जन्मपत्रिका के अनुसार धारण नहीं कीया गया है तो भी नुकसान हो सकता है। जैसे कोई दवाई अच्छी हो लेकिन बिना डॉक्टर की जांच के ही लिया जाए तो नुकसान हो सकता है।
मीन और कुम्भ राशि के लोगों के लिए नीलम उत्तम माना जाता है । इसके अलावा नीलम रत्न को शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति और वृषभ, मिथुन, तुला और मकर राशि के लोग पहन सकते हैं
नीलम शनि का मुख्य रत्न है , जो की महंगा होता है, जब की जमुनिया शनि का उपरत्न है , जो थोड़ा सस्ता होता है। जिन्हें शनि के उपाय के लिए नीलम पहनने का बताया गया हो और वो इतना महंगा रत्न अगर खरीद न सके तो वो जमुनिया पहन सकता है।
नीलम शनि का रत्न है और शनिदेव बहुत ही धीमा चलते है इसी प्रकार नीलम की असर होने में देर लगती है। नीलम एक या दो महीने में अपनी असर दिखाना शुरू करेगा ।
नीलम किसी भी व्यक्ति को अपने वजन के दसवें भाग के बराबर के रत्ती का पहनना चाहिए। अगर आप का वजन 60 किलो है तो आप को 6 रत्ती का नीलम पहनना चाहिए।
हाँ, नीलम आपने पहले से ही पहना हुआ है तो आपको अपने मासिक धर्म के दौरान उसे निकालने की जरूरत नहीं है। पहली बार पहन रहे है तो मासिक धर्म पूर्ण होने के बाद विधि अनुसार ही पहनें।
नीलम रत्न को इंग्लिश में ब्लू सफ़ायर – Blue Sapphire कहते है।
नीलम का दूसरा नाम ब्लू सफ़ायर है ।
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Hello sir . अपने अपनी वेबसाइट पे ,नीलम रत्न के बारे में बहुत अच्छी तरह से बताया हे , बहुत बहुत धन्यवाद